Saturday, April 28, 2018

देसी कहानी : चाचा ने मुझे चोदा

देसी कहानी : चाचा ने मुझे चोदा

(Desi Kahani : Chacha Ne Mujhe Choda)



हेल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम पिंकी सिंह है और मैं अन्तर्वासना की सारी की सारी देसी स्टोरीज पढ़ती हूँ.
मैं आप सबको अपनी चुदाई की सच्ची देसी कहानी बताने जा रही हूँ कि कैसे मैं अपने चाचा से चुदी.
मैं पहले आपको अपने बारे में बता दूँ, मैं दिखने में बहुत सेक्सी हूँ और मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ और कॉल सेण्टर में जॉब करती हूँ. मेरा रंग गोरा है और मेरी चूची और गांड बहुत बड़ी है.
बहुत लोग मुझे लाइन मारते हैं, बहुत लोग मुझसे बात करना चाहते हैं, असल में वे सब के सब मेरी चुत चुदाई करना चाहते हैं.
मैं वैसे बहुत मजाक करती हूँ अपने ऑफिस में और सब लोग मुझे पसंद भी करते हैं.
यह कहानी मेरी और मेरे चाचा के बीच की है, वो चाचा मेरे पड़ोस में ही रहते हैं, वे मेरे पापा के चचेरे भाई हैं. और वो मेरे घर आते रहते हैं. हम दोनों लोग एक दूसरे से बातें करते हैं. पर मुझे यह नहीं पता था कि वो चाचा जिनसे मैं बातें करती हूँ, वो मुझे एक दिन चोद देंगे.
अब मैं आपको मेरी कहानी बताती हूँ जो मेरी सच्ची चुदाई की कहानी है कि कैसे चाचा ने मुझे चोदा.
चाचा जब भी मेरे घर आते थे, वो मुझसे मजाक करते थे और हम दोनों लोग कभी कभी एक दूसरे के साथ खेलते भी थे लेकिन मैं चाचा के बारे में कुछ गलत नहीं सोचती थी. लेकिन वो मुझसे बातें करते करते कभी कभी वो मेरी चूची को देख कर मुझे स्माइल देते थे लेकिन मैं उनकी बातों पर ध्यान नहीं देती थी.
मुझे ये सब नहीं पता था कि मैं एक दिन चाचा से चुद जाऊँगी क्योंकि मैं चाचा को एक अच्छा दोस्त मानती थी लेकिन वो तो मुझे चोदना चाहते थे.
मुझे धीरे धीरे कुछ अजीब सा लगने लगा था क्योंकि चाचा जब भी मुझसे बातें करते थे या जब भी मेरे घर आते थे तो वो मुझे बहुत हवस भरी नजर से देखते थे और मुझसे अकेले में बातें करने की कोशिश करते थे और कभी कभी तो वो मुझे गलत तरीके से छूते भी थे. मैं यह बात अपने घर में किसी से नहीं कह सकती थी क्योंकि सब लोग उनको अच्छा मानते थे और मैं भी चाचा को अच्छा मानती थी.
लेकिन वो कुछ दिनों से मुझसे गलत तरीके से बातें करते थे और मुझसे हमेशा बॉलीवुड की हॉट मूवीज के बारे में बातें करते थे. चाचा मुझे कभी कभी उनके साथ मूवी देखने के लिए भी बोलते थे लेकिन मैं चाचा को मन कर देती थी. चाचा मुझसे कभी कभी फ़ोन पर भी बातें करने लगे थे. मैं चाचा को इसलिए कुछ नहीं बोलती थी क्योंकि वो कभी कभी मेरी हेल्प भी कर देते थे और कभी कभी मुझे अपनी कार से ऑफिस भी छोड़ देते थे.
मेरी चूची बहुत बड़ी हैं, मैं जब भी चाचा के साथ कार में जाती थी तो वो मेरी बड़ी बड़ी चुचियों को देखते थे और मजे लेते थे. मुझे यह बात पता चल गयी थी कि चाचा मुझे चोदना चाहते थे और मैं ऑफिस में बहुत ही सज कर जाती थी और बहुत फैशन करती थी तो लोग मुझे ऑफिस में भी लाइन मारते थे. मुझे पटा था कि मैं फर्स्ट क्लास का माल हूँ चोदने के लिए!
चाचा और मैं, हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे के करीब आने लगे थे. चाचा मुझे बहुत बार व्हाटसप्प पर भी वीडियो काल पर बातें करते थे. लेकिन मैं उनसे ज्यादा देर तक बातें नहीं करती थी क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि चाचा मुझसे कुछ गलत बात करें. व्हात्सप्प पर चाचा अब मेरी फिगर की भी तारीफ करने लगे थे, वो मुझे बोलते थे कि तुम्हारी चाची भी अपने आपको बहुत मेन्टेन रखती है लेकिन तुम्हारी बात कुछ और है.
चाचा और चाची दोनों लोग से मेरी अच्छी बनती थी. चाचा मुझे चोदना चाहते थे और मैं भी अब धीरे धीरे चुदवाने के मूड में आने लगी थी. मैं भी अब चुदाई की बातें सोचती थी.
मैं कभी कभी चाचा के लंड को उनकी पैन्ट में देखती थी क्योंकि वो जब भी मेरी चूची को देखते थे और मुझसे बातें करते थे तो उनका लंड खड़ा हो जाता था और मुझे भी अब लंड से चुदवाने का मन करने लगा था.
मैं अब अपने मोबाइल में हिन्दी पोर्न मूवीज देखती थी और अपनी चूत को अपने हाथ से सहला कर शांत करती थी. मेरी सहेलियाँ तो रोज अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाती थी और मुझे भी बोलती थी चुदवाने के लिए लेकिन मेरा अपने बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप हो गया था लेकिन जब भी मेरा बॉयफ्रेंड मेरे साथ था तो वो मुझसे सेक्स की बातें करने की कोशिश करता था लेकिन मैं तब उससे ऎसी बातें नहीं करना चाहती थी क्योंकि मैं तब इन बातों को बुरा मानती थी.
लेकिन अब मैं नए लंड से चुदवाना चाहती थी इसलिए मुझे भी चाचा से चुदवाने का मन करने लगा था. अब चाचा भी मुझसे खुश रहते थे क्योंकि मैं भी अब चाचा से खुल कर बातें करती थी और वो भी मुझे अपनी चुदाई के बारे में बताते थे. हम दोनों रात भर एक दूसरे से व्हाटसप्प पर बातें करते थे. यह बात नहीं मेरे घर में किसी को पता थी कि मैं अपने पड़ोस से चाचा से व्हाटसप्प पर रात भर बातें करती हूँ. न ही उनकी वाइफ जानती थी वो मुझसे रात भर बातें करते हैं.
चाचा शादीशुदा थे लेकिन मैं उनको पसंद करने लगी थी क्योंकि वो मेरी बहुत देखभाल करते थे और कभी कभी वो मुझे अपने पैसों से मेरी जरूरत की चीजें मुझे लाकर देते थे. लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि यह बात किसी को पता चले कि मैं और चाचा हम दोनों लोग एक दूसरे से प्यार करते थे.
हम दोनों एक दूसरे के साथ एक दो बार फिल्म भी देखने गए थे और वहाँ पर चाचा ने मुझे किस भी करने की कोशिश की थी लेकिन मैंने उनको मना कर दिया क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मुझे और चाचा को किस करते हुए कोई देखे.
चाचा जब भी मेरे घर आते थे तो वो मैगज़ीन लेकर आते थे जिसमें नंगे लड़के लड़की सेक्स करते हुए रहते थे और हम दोनों लोग नंगी फोटोज देखते थे. चाचा कभी कभी मुझे अपनी मोबाइल में पोर्न मूवीज भी दिखाते थे और हम दोनों लोग एक दूसरे को किस भी करते थे जब मेरे घर कोई नहीं रहता था.
हम एक दूसरे को बहुत देर तक किस करते थे लेकिन हम दोनों लोग चुदाई नहीं करते थे क्योंकि घर में किसी ना किसी के आने का डर लगा रहता था.
चाचा जब कभी अपनी वाइफ को चोदते थे तो मुझे बताते थे लेकिन वो बताते थे कि उनको अपनी वाइफ को चोदने में अब मजा नहीं आता है और वो मुझे चोदना चाहते हैं.
मैं चाचा को बोलती थी कि हम चुदाई कैसे करें, घर पर कोई न कोई रहता था.
एक दिन मैं ऑफिस में काम कर रही थी और चाचा का मेसेज आया कि वो मुझे होटल में खाना खिलाना चाहते थे. मैंने अपने ऑफिस के मेनेजर से छुट्टी ले ली और चाचा से मिलने होटल में चली गयी.
वह पर हम दोनों ने खाना खाया और उसके बाद चाचा बोले- आज हम दोनों होटल के रूम में चुदाई करेंगे!
लेकिन मैंने अब फिर चाचा को मना कर दिया क्योंकि मैं नहीं चाहती थी मुझे और चाचा को कोई होटल रूम में जाते आते देख ले.
एक दिन मेरे घर कोई नहीं था, सभी लोग देवी मंदिर में दर्शनों के लिए गए हुए थे, वहां चार पांच घंटे लगने थे. तो चाचा को मैं फ़ोन करके बोली- आज मेरे घर कोई नहीं है!
और वो मेरे घर आ गए, वो एक कोल्ड ड्रिंक लेकर आये थे. हम दोनों ने कोल्ड ड्रिंक पिया, उसके बाद मैं और चाचा दोनों मेरे बेडरूम में आ गए और चाचा मुझे किस करने लगे.
हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे, होंठों को चाट रहे थे और एक दूसरे का थूक भी चाट रहे थे.
उसके बाद चाचा ने मेरी सलवार सूट को निकाल दिया और मुझे नंगी देख कर बोलने लगे- तुम बहुत सेक्सी हो पिंकी, मैं तुमको चोदने के लिए बहुत दिन से सोच रहा था!
और यह काहते हुए चचा ने अपनी पैन्ट उतार दी.
चाचा मेरी ब्रा में कैद मेरी विशाल चूचियों को पकड़ कर मसलने लगे. मैं भी चाचा का लंड उनके अंडरवियर के ऊपर से सहलाने लगी और हम दोनों फिर एक दूसरे को किस करने लगे. चाचा मेरे कान को किस कर रहे थे, उसके बाद वो मेरे गर्दन को भी चाट रहे थे.
फिर चाचा ने मुझे बिस्तर पर लिटा लिया और वो कुत्ते की तरह मेरे पैरों को चाटने लगे, मेरे पैरों की उंगलियों को चाट रहे थे और मैं भी धीरे धीरे गर्म हो रही थी.
कुछ देर के बाद चचा ने मेरी ब्रा को उतार दिया और मेरी बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगे और मेरी चूची एकदम बड़ी बड़ी और गोल गोल हैं.
चाचा मेरी चूची को अब अपने मुख में लेकर चूसने लगे, मैं सिसकारियाँ भर रही थी- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह ओह्ह ओह्ह!
और वो मेरे निप्पल को चूस रहे थे और दूसरी चूची को मसल रहे थे.
अब मैं थोड़ा जोर से सिसकारियाँ ले रही थी क्योंकि चाचा अब मेरी चूची को बड़ी बेदर्दी मसल रहे थे तो मुझे दर्द हो रहा था और मुझे मजा भी आ रहा था.
चाचा मेरी चूची को बहुत देर तक बदल बदल कर चूसते रहे उसके बाद उन्होंने मेरी पेंटी को निकाल दिया. मैंने उसी दिन सुबह को अपनी चूत के बाल साफ़ कर लिए थे, मुझे पता था कि आज मेरी चुत चुदाई होनी तय है.
चाचा मेरी चिकनी फूली हुई चूत को देख कर कुत्ते की तरह चाटने लगे और मैं जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
कुछ देर के बाद चाचा ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से थोड़ा खोला और उसके बाद वो मेरी चूत के दाने को चाटने लगे और कभी कभी तो वो मेरी चूत के दाने को अपने दांतों से काट भी रहे थे. मैं और जोर से चिल्ला रही थी क्योंकि तब मुझे दर्द होता था और मजा भी आता था.
चाचा बोल रहे थे- यार पिंकी, तुम्हारी चूत बहुत अच्छी है!
और वो मेरी चूत को बहुत देर तक चूसते रहे.
उसके बाद चाचा ने अपना लंड निकाला और मुझे लंड चूसने के लिए बोले. मैं भी चाचा का लंड अपने मुख में लेकर चूसने लगी.
मैं चाचा का लंड चूस रही थी और वो मजे लेकर अपनी आँखों को बंद करके मुझसे लंड चुसवा रहे थे.
चाचा कभी कभी अपना लंड मेरे मुख में जल्दी जल्दी अन्दर बाहर कर रहे थे तो चाचा झड़ने लगे, उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह से बाहर निकाल लिया और सारा माल बाहर ही निकाल दिया. चचा माँ माल मेरी चूची और पेट पर गिरा जिसे चाचा ने मेरी ही पेंटी से पौंछ दिया.
अब हम दोनों साथ साथ लेट गए और फिर से चूमा चाटी करने लगे. चाचा ने मुझे उनके लंड को हाथ में लेकर सहलाने को कहा.
कुछ देर के बाद चाचा का लंड दुबारा खड़ा हो गया तो उन्होंने मेरी चूत पर अपना लंड सेट किया और एक जोर का धक्का मारा लेकिन तो उनका लंड नीचे को फिसल गया.
चाचा ने दुबारा अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और एक जोर का धक्का मारा तो उनका आधा लंड मेरी चूत में चला गया और मैं चिल्लाने लगी क्योंकि उनका लंड बहुत मोटा था और मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
चाचा कुछ देर रुक गए और उसके बाद वो मुझे धीरे धीरे चोदने लगे, मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ था तो चाचा मुझे थोड़ा तेज तेज चोदने लगे और जोर के धक्के मेरी चूत में मार मार कर जल्दी जल्दी चोद रहे थे और मैं सिसकारियाँ ले रही थी. कभी कभी वो मुझे किस भी कर रहे थे और हमारी चुदाई की कामुक आवाजें कमरे में गूंज रही थी.
अब मैं भी चाचा का साथ दे रही थी, नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर चाचा से चुत चुदवा रही थी. कुछ देर के बाद हम दोनों झड़ गए और चाचा ने अपना माल मेरी चूत में नहीं गिराया, लंड बाहर निकाल लिया.
हम फिर से लेट गए. चचा मुझसे पूछने लगे- कैसा लगा पिंकी?
मैंने कहा- चाचा, अच्छा लगा पर बहुत दर्द हुआ.
चाचा बोले- जितना दर्द होना था, हो चुका, अब तो आगे मजा ही मजा है.
कुछ देर बाद चाचा का लंड फिर से मुझे चोदने के लिए तैयार था, चाचा ने मुझे घोड़ी बना दिया और वो अपना लंड पीछे से मेरी चूत में डाल कर मुझे पीछे से चोदने लगे.
हम दोनों चुदाई करने लगे और मैं चिल्ला रही थी कुछ दर्द से तो कुछ आनन्द से!
हमने बहुत देर तक चुदाई की और फिर झड़ गए.
इस तरह से मैंने और चाचा ने उस दिन दो बार चुदाई की. उसके बाद चाचा अपने घर चले गए.
और अब तो हम दोनों को जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई करते हैं.
आप सब मुझे मेल करिए कि मेरी चुदाई की सच्ची देसी कहानी आप सबको कैसी लगी. मैं आपके मेल का इंतजार करुँगी.
मेरी मेल आईडी है misspinkysingh@gmail.com
इस कहानी को पीडीएफ PDF फ़ाइल में डाउनलोड कीजिए! देसी कहानी : चाचा ने मुझे चोदा

बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन की गांड मारी

बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन की गांड मारी

(Bollywood Actress Raveena Tandon Ki Gand Mari)


सभी खुले भोसड़ों और बंद बुरों को मेरे खड़े लंड का सलाम!
मेरा नाम आनन्द है। मैं कई सालों से अन्तर्वासना की हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ रहा हूँ। आज पहली बार मैं भी आपके सामने एक कहानी लेकर हाज़िर हूँ।
बात उन दिनों की है, जब मैं मुम्बई काम की तलाश में गया। वहाँ पर मेरा एक दोस्त था, मैं उसी के रूम पर रहता था। मुम्बई में दिन भर काम की तलाश करता.. लेकिन अब तक मुझे कोई काम नहीं मिला था।
आखिर में मैं हार मानकर वापस घर जाने का सोच रहा था लेकिन सोचा आज आखिरी दिन और काम ढूंढ लूँ।
सुबह खाना खाकर काम ढूंढने के लिए निकल पड़ा। शाम तक कोई काम नहीं मिला। फिर थककर वापस रूम पर जा ही रहा था, तभी मैंने देखा कि एक लड़की सामने पड़ी कराह रही है। मैं भागकर वहाँ पहुंचा तो देखा वो कोई और नहीं मशहूर अभिनेत्री रवीना टंडन थी। उनकी गाड़ी एक पेड़ से टकरा गई थी, इसलिए वो गाड़ी से बाहर गिर गईं और उनके पैर में मोच आ गई थी।
रवीना ने मुझसे कहा- तुम अपने फ़ोन से एक नंबर पर कॉल करो.. मेरा फ़ोन यहीं कहीं झाड़ियों में गिर गया है।
मैंने कहा- पहले आप खड़ी तो हो जाइए।
मैंने उनको सहारा देकर खड़ा किया और कार में बिठाया।
फिर मैंने कहा- मेरा फ़ोन चार्ज नहीं है, आप कहो तो मैं आपको आपके घर तक पहुँचा सकता हूँ, मुझे ड्राइविंग आती है।
रवीना ने कुछ सोचने के बाद कहा- ठीक है।
अब हम रवाना हो चुके थे। फिर उन्होंने मुझसे मेरा नाम पूछा, तो मैंने कहा- जी मेरा नाम आनन्द है।
‘हम्म..’
मैंने कहा- रवीना जी मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूँ। प्लीज एक ओटोग्राफ तो दे ही देना।
उन्होंने कहा- तुमने मेरी मदद की है, ऑटोग्राफ तो मैं तुम्हें दे ही दूँगी, इसके अलावा भी तुम्हें कोई जरूरत हो तो बता देना।
मैं काम की तलाश में था और मैडम मुझसे कह रही थीं कि कोई जरूरत हो तो बता देना, मैं उनकी तरफ चूतियों की तरह से पलकें झपकाने लगा।
फिर रवीना ने पूछा- क्या काम करते हो?
मैंने कहा- काम की ही तलाश कर रहा हूँ.. लेकिन अब तक नहीं मिला इसलिए कल वापस गांव जा रहा हूँ।
तो रवीना कहा- मेरे घर पर काम करोगे?
मैंने कहा- मैं आपके क्या काम का?
तो रवीना ने कहा- मेरे ड्राईवर का काम कर लोगे.. वैसे भी गाड़ी काफी अच्छी चलाते हो। मेरे घर में एक नीचे वाला कमरा भी खाली है।
मैं बहुत खुश हुआ।
अब तक हम उनके घर पर पहुँच गए। बाहर तैनात कुछ गार्ड्स ने उनको उनके कमरे में पहुँचाया, मैं भी साथ ही था। कुछ देर बाद सभी गार्ड भी चले गए।
रवीना बिस्तर पर लेट गई और उसने मुझसे कहा- चोट ज्यादा नहीं है.. तुम वो सामने जो दवा पड़ी है.. बस वो लगा दो।
मैं वो उठा कर लाया और खड़ा हो गया।
फिर रवीना ने कहा- लगाओ!
रवीना ने उस वक्त ब्लैक कलर की शार्ट ड्रेस पहनी हुई थी। उसने अपनी छोटी स्कर्ट को ऊपर उठाया तो रवीना की गोरी-गोरी टांगों और जांघों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।
रवीना ने कहा- लगाओ.. देख क्या रहे हो?
मैंने कहा- रवीना जी, आपके पैर काफी अच्छे हैं।
रवीना ने ‘थैंक्स..’ कहते हुए बोला- अब देखते ही रहोगे क्या.. लगाओ भी!
मैंने उसके पैरों को अपनी जाँघों पर रखा और हल्के हाथ से दवा मलते हुए पैरों की मालिश करने लगा।
अय हय.. क्या मुलायम और चिकने पैर थे.. मेरा लंड कड़क तो था ही, साला छूने भर से तड़प उठा।
मैंने रवीना के नाम की कई बार मुठ मारी थी। आज उसे अपने सामने देख कर मेरी हालत ख़राब हो रही थी। मैंने जैसे-तैसे दवाई लगा दी।
रवीना को मेरा खड़ा लंड अपने पैरों पर महसूस होने लगा था, जिससे उनको पता चल गया था।
रवीना ने कुछ मजाक भरे स्वर में कहा- कैसा लग रहा है?
मैंने शर्माते हुए कहा- बहुत मजा आ रहा है।
फिर वो खुल कर बोली- तुम्हारा लंड मुझे चुभ रहा है।
मैं उनकी इस बिंदास बात से एकदम से अवाक रह गया। मैंने कहा- सॉरी मेम..
रवीना बोली- कोई बात नहीं.. चल आज तू आज अपनी ख्वाहिश पूरी कर ले।
वो उठी और उसने आगे बढ़ कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और बोली- वाह.. क्या बड़ा लंड है तुम्हारा..!
उसने नीचे बैठते हुए मेरा खड़ा और रस छोड़ता हुआ लंड अपने मुँह में ले लिया। रवीना के मुँह में लंड क्या गया, मैं तो सातवें आसमान पर उड़ने लगा था।
रवीना टंडन के मुँह में मेरा लंड… मुझे यह सोच कर ही उत्तेजना हो रही थी।
उसके चूसने से मैं जल्द ही झड़ गया.. और वो मेरा पूरा रस पी गई।
फिर मैंने रवीना को बिस्तर पर लिटाया और अपने सारे कपड़े उतार डाले। फिर आगे बढ़ कर मैंने रवीना के कपड़े भी उतारे और उसको सिर्फ ब्रा और पेंटी में ला दिया।
अब रवीना के होंठों को मैं चूसने लगा और साथ-साथ उसके तने हुए बोबे भी दबाने लगा।
हय.. क्या मुलायम चूचे थे!
फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके रसीले मम्मों को दबाते हुए पीने लगा.. आह्ह.. क्या बॉडी थी रवीना की, समझो पूरी चाटने के लिए ही बनी थी।
रवीना भी चुदासी हो उठी थी और कामुक सीत्कारें ‘आह आह..’ कर रही थी।
अब मैंने रवीना को उल्टा किया और उसकी गांड को दबाने लगा। मैं रवीना की गांड का बहुत बड़ा फैन हूँ। मैंने अब उसकी छोटी सी पेंटी भी उतार दी।
रवीना की गोरी चिकनी और बड़ी-बड़ी गांड मेरे सामने नंगी हो गई थी। मैं पागलों की तरह उसकी गांड को चाट और दबा रहा था। मैं अति उत्तेजना में उसकी गांड के छेद पर अपनी जीभ घुमाते हुए गांड चाटने लगा।
रवीना कराह उठी और बोली- और जोर से.. चाट ले पूरी..!
मैं और जोर से जीभ को नुकीली करता हुआ उसकी गांड में अन्दर-बाहर करने लगा।
फिर मैंने उसे सीधी करके देखा तो रवीना की चिकनी गुलाबी और पाव की तरह उठी हुई चूत मेरे सामने थी, मैं पागल हो रहा था। मैंने उसकी चूत पर एक चूमा किया और टांगों को फैला दिया।
अब मैं अपना पूरा मुँह चूत के ऊपर लगा कर चूत को चाटने लगा।
वाह.. क्या स्वाद था उसकी रसीली चूत का!
अब तक रवीना तड़प उठी थी, वो बोली- प्लीज़ अब और इंतज़ार मत करवाओ।
लेकिन मैं तो चूत ही चाटता रहा.. वो ‘आह आह.. आ आ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उई माँ मर गई..’ जैसी कामुक आवाजें निकालने लगी।
फिर रवीना बोली- अब देर मत करो.. तुम फाड़ ही दो मेरी चूत को!
मैं फिर से उसकी चुची को मसलने लगा और मैंने ऊपर को होते हुए अपने लंड को रवीना के मुँह में डाल दिया, वो आइसक्रीम की तरह लंड को चाटने और चूसने लगी।
अब मैंने कहा- रवीना मैं आपकी गांड मारना चाहता हूँ।
वो चुदासी सी बोली- सब कुछ मार डाल मेरे राजा.. सब तो खुला पड़ा है।
यह सुनते ही मैंने रवीना को उल्टा किया और कुतिया की पोजीशन में होने को कहा, वो लपक कर कुतिया बन गई।
अब रवीना की मोटी रसीली चिकनी गांड मेरे सामने थी.. मैंने दोबारा गांड पूरा चाटा और गांड के छेद पर थूक लगाकर उंगली अन्दर डाल कर लंड के लिए जगह बनाई।
रवीना ने कामुक सिसकारी भरते हुए कहा- जल्दी से फाड़ दे मेरी गांड..
मुझ में जोश आ गया, अब लंड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर टिकाया और एक ही झटके में पूरा लंड गांड में पेला तो वो सरसराता हुआ अन्दर घुसता चला गया।
रवीना जोर से चिल्लाई- आअईई.. धीरे चोद..
मैंने उसकी चीख को अनसुना किया और धक्के देना शुरू कर दिया।
अह.. क्या मस्त मजा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड को किसी गर्म भट्टी में घुसा हो।
अब रवीना भी उछल-उछल कर गांड मरवा रही थी.. मैं चुदाई के साथ-साथ उसकी गोरी गांड पर जोर-जोर से थप्पड़ भी मार रहा था। गांड पर चमाट की आवाज मुझे और जोश दिला रही थी।
मैं कुछ मिनट तक रवीना की गांड मारता रहा.. फिर मैंने सारा माल उसकी गांड में ही छोड़ दिया।
अब रवीना ने लंड को रूमाल से पोंछ कर उसे चूसा और फिर से खड़ा कर दिया।
फिर मैंने रवीना की चूत को भी बहुत देर तक चोदा और रवीना को चुदाई के लिए ‘थैंक्यू..’ बोला।
रवीना ने कहा- आज चुदाई का असली मजा आया, मेरे पति तो बाहर ही रहते हैं और उनका लंड भी छोटा सा है। आज से तुम ही मेरी मेरी प्यास बुझाओगे।
मैंने कहा- ठीक है मेम!
अगले दिन से मैं रवीना की कार में उसकी गांड मारता और घर पर चूत चोदता।
मित्रो, अंत में मुझे बस एक ही बात लिखनी है कि काश यह मेरी सेक्स स्टोरी सच हो जाए। आपको कैसी लगी मेरी फ़ैंटेसी यानि कल्पना? जरूर बताइएगा।
kavipathak555@gmail.com

हिरोइन बनने के लालच में चुत चुदाई करवा ली

हिरोइन बनने के लालच में चुत चुदाई करवा ली

( Heroine Banane Ke Lalach me Chut Chudai karava Li)


हैलो फ्रेंड्स, सेक्स स्टोरी की इस दुनिया में मेरा आप सभी को नमस्कार। मेरा नाम समीरा है, मुझे लाइफ एन्जॉय करना पसंद है। मैं बॉलीवुड हीरोइन बनना चाहती हूँ.. मैं दिखने में ईशा गुप्ता जैसी हूँ और उसी की स्टाइल कॉपी करती हूँ।
कभी-कभी घर में तो सिर्फ़ बिकिनी पहने रहती हूँ.. वैसे भी मैं बाहर भी शॉर्टस और टॉप पहने घूमती हूँ। मेरे इस उन्मुक्त रवैये के कारण सभी लौंडे मुझे घूर-घूर कर देखते रहते हैं। मुझे भी अपनी बॉडी एक्सपोज़ करने में मजा आता है।
चलो सेक्स स्टोरी पर आती हूँ।
जैसे कि मैंने बताया कि मुझे हीरोइन बनना है पर मैं बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के किसी भी इंसान को नहीं जानती थी।
इसके लिए मैंने एक लड़के को पटाया जो मीडिया से जुड़ा हुआ है और उसके साथ पार्टीज और बाकी फंक्शन में जाना शुरू किया। वैसे तो सभी मुझे देखते थे पर कोई बात नहीं करता था। सो मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे कुछ लोगों से इंट्रोड्यूस किया, जिनमें से कुछ डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स थे।
एक दिन ऐसे ही एक पार्टी में एक मध्यम सा आदमी मेरी तारीफ़ करता हुआ बोला- तुम्हारा फिगर काफी अच्छा है.. फिगर का साइज़ क्या है?
मैंने नॉटी सी स्माइल देते हुए कहा- साइज़ 36-26-38 का है।
वो- वाह क्या मस्त फिगर है.. तुम हमारी बॉलीवुड में ट्राय क्यों नहीं करती हो?
मैं- करना तो चाहती हूँ, पर..
वो- पर क्या..! एक काम करो कल मेरे ऑफिस आ जाना.. वहीं स्टूडियो में तुम्हारा ऑडिशन ले लेंगे।
मैं- ओह्ह थैंक यू सर.. थैंक्स अ लॉट.. आय विल कम टुमारो।
वो- यू वेलकम और हाँ मेरा नाम दिनेश कपूर है.. सो कॉल मी दिनेश।
मैं- ओके..
फिर उन्होंने मुझे अपना नंबर और ऑफिस का एड्रेस दिया और वो चले गए।
दूसरे दिन मैं ऑफिस के एड्रेस पर पहुँच गई, रेसिप्शन पर नाम बोला और थोड़ी देर में एक लड़का आया, वो बोला- मैडम आपको सर ने बुलाया है।
मैं अन्दर गई तो उन्होंने मुझे वेलकम किया और कुर्सी देकर कहा- देखो तुम एक सुंदर चेहरा हो और हमारी फिल्म इंडस्ट्री में तुम्हारी जरूरत है.. पर तुम्हें एक्टिंग भी आनी जरूरी है।
मैं- यस सर..
दिनेश- तो ऑडिशन रूम में चलें??
मैं- यस सर..
और हम दोनों एक रूम में चले गए।
वहां बहुत लोग थे शायद किसी हीरो के रोल का ऑडिशन चल रहा था.. दिनेश ने मुझे अपने बाकी टीम से इंट्रो करवाया और एक एक्टर को बुलाकर उसे एक सीन दिया। वो सीन मुझे उस लड़के के साथ करना था।
सीन था कि प्रेमी अपने प्रेमिका को छोड़ कर जा रहा है और प्रेमिका को उसे रोकना है।
सीन शुरू हुआ।
मैं पहले 4 बार चूक गई.. सभी लोग अपसेट हो गए क्योंकि कुछ भी रोमांटिक और मसालेदार नहीं था।
अब दिनेश ने मुझसे कहा- ये तुम्हारा लास्ट चांस है।
मैंने सोचा इस बार सब भूल जाती हूँ और उसके साथ दमदार शॉट देती हूँ।
दिनेश सर ने एक्शन बोला…
मैं- रुक जाओ अभी.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।
अभी- नहीं अगर तुम मुझसे प्यार करती तो मुझे अपने से दूर नहीं करती।
मैं- मैंने कभी तुम्हें अपने से दूर नहीं किया।
अभी- तुम झूठ बोल रही हो और अब मैं एक पल के लिए भी नहीं रुकना चाहता।
तभी मैं उस एक्टर को अपने ओर खींच कर किस करने लगती हूं और अपनी शर्ट के बटन खोल के उसके सर को अपने उभार पर दबाने लगती हूँ।
तभी दिनेश सर कट बोलते हैं और खड़े होकर ताली बजाने लगते है।
दिनेश- वाह… तुमने तो सीन में गर्मी और जान दोनों डाल दी समीरा.. वाह.. चलो कम विद मी।
ऑडियो सेक्स स्टोरी- नेहा की बस में मस्ती   सेक्सी लड़की की आवाज में सेक्सी कहानी का मजा लें!
मैं बड़ी खुश थी। हम दोनों वापस उनके ऑफिस में आ गए।
दिनेश मेरे साथ सोफे पे बैठ गए और उन्होंने अपने सेक्रेटरी को बुलाया और कहा- देखो मैं मैडम के साथ डिस्कशन में हूँ.. स्क्रिप्ट और रोल फायनालाइज करना है.. सो डोन्ट डिस्टर्ब अस।
सेक्रेटरी ‘हाँ’ कह कर वहाँ से चला गया।
अब दिनेश मेरे पास आए और कहा- तुम्हारे एक्टिंग में दम तो है.. पर मेरे पास इस रोल के लिए कई सारी हिरोइनों के फ़ोन आ चुके हैं.. तो तुम इस रोल के लिए और क्या कर सकती हो??
ये कहते हुए दिनेश मेरे चेहेरे पे से हाथ फेरते हुए मेरे उभारों पर ले गए।
मैंने झट से उनके होंठों पे किस किया। मेरी इस प्रतिक्रिया से वो एकदम से खुश हो गए और कहा- गुड.. तुम काफी समझदार हो.. तरक्की करोगी।
मैं- थैंक यू सर।
‘ओके कैरी ऑन..’
मैंने अपने कपड़े उतारे तो वो मेरी बॉडी को देख कर एकदम पागल हो गए। अब दिनेश मेरी बॉडी को किस करते हुए मेरे शरीर से खेलने लगे।
मैंने उनकी पैंट के ऊपर से ही उनके लंड को मसल दिया।
अगले कुछ पलों में हम दोनों पूरी तरह सेक्स में डूब गए थे। दिनेश सर ने भी अपने कपड़े उतार दिए और मुझे लंड चूसने बोला.. मैंने वैसा ही किया।
अब उन्होंने मुझे चोदना शुरू किया.. मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई.. क्योंकि मैं पहले भी कई बार चुद चुकी थी। उन्होंने मेरी चूत में लंड डाला और अन्दर-बाहर करने लगे। मैं भी कामुक सिसकारियां भरने लगी और चुत चुदाई के मजे लेने लगे।
हम दोनों बिल्कुल नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए थे.. वो मुझे चूम रहे थे और साथ में धकापेल चोदे जा रहे थे।
‘आह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… सर अह्ह्ह लव यू.. आह्ह्ह..’ मैं सिसकारियां भर रही थी और दिनेश सर अपने लंड का सारा पानी मेरी चुत के अन्दर छोड़ कर मेरे ही ऊपर निढाल हो गए।
दिनेश सर मेरे ऊपर पड़े-पड़े मुझे किस करने लगे। 2 घंटे में उन्होंने मुझे 3 बार चोदा।
इसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहन लिए थे। तभी बेल बजी और उनका सेक्रेटरी आकर बोला- मैडम सैट पर पहुँच गई हैं.. शूट शुरू करना है।
दिनेश- हाँ मैं आता हूँ।
मैंने दिनेश की ओर देखा तो उसने स्माइल दी और बोला- क्या करूँ तुम्हें देखा तो चोदने का मन हुआ.. इसी लिए ये सब नाटक किया.. सॉरी।
दिनेश ने मेरे हाथ में 50000 रुपये दिए और सैट पर चला गया।
मेरी चुत की चुदाई की कीमत मुझे अब समझ आ रही थी।
ये थी मेरी बॉलीवुड सेक्स की कहानी.. मुझे मेल कीजिएगा।
Nehara401@gmail.com

सगी भानजी की कोरी गांड मारी

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पड़ोसन भाभी की कुंवारी गांड की चुदाई की गंदी कहानी

पड़ोसन भाभी की कुंवारी गांड की चुदाई की गंदी कहानी

(Padosan Bhabhi Ki Kunwari Gand Ki Chudai Ki Gandi Kahani)


मेरी गन्दी कहानी में पढ़ें कि मैंने पड़ोसी को गांड चुदाई सिखाया और बदले में इनाम में पड़ोसन की गांड की चुदाई करने को मिल गई.
नमस्कार मित्रो, यह मेरी पहली गन्दी कहानी है अन्तर्वासना पर, सभी चुतों और लंड धारियों को मेरे खड़े लंड की तरफ से ढेर सारा प्यार.
यह बात एक वर्ष पहले की है, मैं 24 साल का था और जिम का शौक़ीन होने की वजह से मैंने काफी मस्त बॉडी बना रखी थी. मेरी हाइट साढ़े पांच फुट की है और साढ़े सात इंच लम्बे और मोटे लंड का मालिक हूँ. मैं हमेशा से ही शौक़ीन मिज़ाज़ का रहा हूँ और चूत से ज्यादा औरतों की गांड में दिलचस्पी रखता हूँ, जो कि मुझे काफी बार मिली भी है.
खैर मुद्दे की बात पे आता हूँ. दिसम्बर का महीना था, मेरे पड़ोसी का नाम रौनक था वो एक 34 वर्षीय बिज़नेस क्लास हैं और मैं उन्हें भैया कहता हूँ. हम काफी करीब भी हैं, वो अक्सर मुझे दारू पीने बुलाते थे.
रौनक की बीवी यानि मेरी भाभी का नाम रिया था, उनकी उम्र 30 साल की है और वे बहुत ही उम्दा जिस्म की मालकिन हैं. उनकी कमनीय काया इतनी दिलकश है कि मुझे वो किसी पोर्न स्टार जैसी लगती हैं. भाभी का दूध सा गोरा बदन, भरी हुई चूचियां और उठी हुई गांड नशा सा भर देती थी. भाभी के पूरे शरीर पर एक भी बाल नहीं था, वो एकदम चिकनी मुलगी थीं. हालांकि भाभी की चूत पर बहुत बाल थे, जो मुझे बाद में पता चले.
एक दिन भैया ने हमेशा की मुझे दारू पीने बुलाया और हम मज़े से पार्टी एन्जॉय कर रहे थे. भाभी भी साथ बैठी थीं, पर वे पी नहीं रही थीं. हालांकि उनकी पीने की इच्छा नज़र आ रही थी.
मैंने भैया से कहा- भैया, भाभी को भी तो पीने दो, अगर आपको मुझसे संकोच है तो मैं चला जाता हूँ.
इस बात पर भैया बोले- अरे मनन, तुमसे कैसी शर्म, तुम तो हमारी काफी बातें जानते हो.. ये लो रिया, चियर्स..
रिया भाभी ने भी दारू पीना शुरू कर दी. धीरे धीरे माहौल बनता गया और हम खुल कर गन्दी बातें भी करने लगे.
भैया ने कहा- यार मनन, एक बात सच्ची बताओ, तुम इतने फिट हो तुम्हारी तो काफी गर्ल फ्रेंड्स होंगी और तुम सही में मज़े लेते होंगे.
मैं तो खुले विचारों का ही था, पर भाभी के सामने मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी.
तभी भाभी ने कहा- हां मनन, बताओ तो..!
मुझे नशा तो चढ़ ही गया था, मैंने भाभी को देखा और कह दिया- मुझे प्यार व्यार में भरोसा नहीं है, मैं सिर्फ मज़े लेता हूँ और देता हूँ.
इस बात पर दोनों हंस दिए.
तभी भाभी और गर्म हो उठीं, वे और नशे में आते हुए खुल कर बोलीं- तो अब तक कितनी चूत मार चुके हो?
भैया इस बात पर हंस ही पड़े और बोले- वाह, दारू ने मेरी बीवी को और गर्म कर दिया है. देखो कैसे गन्दी बात कर रही है!
यह कह कर भैया ने भाभी की चूची पर हाथ फेर दिया. ये सब देख सुन कर मेरे लंड अन्दर से उछाल मार रहा था. मैंने भी खुलते हुए कहा- मुझे चूत में मज़ा नहीं आता, मैं गांड के मज़े लेता हूँ.
इसी बात पर भैया बोल पड़े- यार वाह.. ये सब कैसे कर लेते हो, हमने तो ज़िन्दगी भर सिर्फ तुम्हारी भाभी की चूत मारी है.
भाभी की ओर मेरी नज़र गई, वो मेरे लिए खुश तो थीं, पर उनकी प्यास दिख रही थी. मैंने उनका मूड ख़राब करना न चाहा और कहा- और कुछ बताओ ना भैया?
इस तरह हमारी गन्दी बातें चलती रहीं. साथ में शराब का नशा भी तीनों पर चढ़ता गया.
भैया ने जब भाभी की चुचियां मसली थीं, तब उनका पल्लू हट गया था, जो अब भी हटा हुआ था और भाभी ने अपने पल्लू को ठीक करने की जगह उसको एक तरफ कर दिया था और वो अपनी चूचियां तान कर दारू का मजा ले रही थीं.
उनके गहरे गले वाले ब्लाउज से दूधिया घाटी देख कर मेरे हाल बुरा हो रहा था. भाभी भी मेरे लंड को फूलता हुआ देख चुकी थीं.
उन्होंने मुझसे कहा- मनन, तुम्हारा छोटा पप्पू तो बहुत बदमाश हो गया है.
यह कह कर भाभी मुस्कुरा दीं.
अब भैया भी मूड में आ गए थे और खुली बातों से बुरा नहीं मान रहे थे. तभी उन्होंने मज़ाक में कहा- दोस्त कभी हमें भी गांड मारने का सुख दिलाओ, कैसे मारी जाती है, कभी हमें भी सिखाओ.
मैंने कहा- भैया, आप तो इतनी गरम बीवी के पति हो, तेल लगा कर कुछ देर उंगली करके लंड डाल दो.. हा हा हा.
तभी भाभी हंसते हुए बोल उठीं- अबे चुतियो, गांड मारना इतना आसान नहीं होता.
भाभी की बात पर हम दोनों हंस पड़े.
तभी भैया मूतने चले गए. अब भाभी और मैं एक दूसरे को देख रहे थे.
भाभी ने मुझसे कहा- मनन, सच तो यह है कि मेरा छेद थोड़ा टाइट है और तुम्हारे भैया इसे बड़ा नहीं कर पाते हैं, हमारा मन तो बहुत करता है. क्या तुम तुम्हारे भैया को सिखा सकते हो प्लीज. मेरे तो मन ही मन में लड्डू फूटने लग गए.
मैंने कहा- क्यों नहीं, पर क्या भैया मानेंगे?
भाभी बोलीं- वो तू मुझ पे छोड़ दे.
इतना कह कर भाभी ने मेरे लंड को दबा दिया.
मैं लंड दबने से गनगना गया. अभी मैं भाभी की चूचियां मसकने के मूड में था कि इतने में भैया आ गए.
हमारी बातें फिर से शुरू हो गईं. भैया बातें कर ही रहे थे, तभी भाभी उनको किस करके बोलीं- जानू, क्यों न मनन से मदद ली जाए और आप मेरी गांड के मज़े ले सको, जो इतने सालों से न हो पाया.
भैया इस बात से थोड़े हक्के बक्के रह गए और बोले- हां यार बात तो ठीक है.. और फिर मनन तो अपना ही बंदा है, कहो मनन, कहां से शुरूआत की जाए.
मैं कुछ कहता कि इतने में भैया तो नंगे हो गए. मुझे थोड़ा अजीब भी लगा क्योंकि पहली बार मैंने किसी दूसरे मर्द का लंड देखा था. भैया का लंड मुझसे बहुत छोटा था और पतला भी था. मैंने अपने बैग से स्पेशल क्रीम स्प्रे निकाल कर उन्हें दी और कहा कि इसे भाभी की गांड पे लगा दो और खुद के लंड पे भी लगा लो.
भाभी भी एकदम गरम थी, पर कुछ शर्मा रही थीं, वे बोलीं- मैं मनन के सामने नंगी नहीं हो सकती.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप लोग कर लो, मैं चला जाता हूँ.
भैया ने कहा- नहीं यार, तुम मत जाओ, रिया तुम्हें नंगी होने की ज़रूरत नहीं है, तुम खाली अपनी पेंटी उतार लो और साड़ी ऊपर कर लो, बाकी मैं कर लूंगा, उन्होंने ऐसा ही किया.
हालांकि मुझे उनकी गांड तो दिख ही गई और मुड़ते हुए मैंने उनकी जंगली बालों वाली अद्भुत चूत भी देख ली.
भैया ने शुरूआत तो अच्छी की, लेकिन उनका लंड भाभी की गांड में सैट नहीं हो रहा था.
मैंने मदद की तब थोड़ा सैट हुआ, पर भैया इतना गरम थे कि उनका पानी जल्दी ही छूट गया. झड़ जाने के कारण वो थक भी बहुत गए थे. उन्होंने वहीं बैठ कर एक पैग और लगाया और गिर गए.
भाभी मायूस हो गई थीं. वे कहने लगीं- देखा न मनन, आज ज़रा सी उम्मीद क्या दिखी, उनसे इतना भी न हो पाया.
मैंने कहा- मैं चलता हूँ भाभी.
तभी उन्होंने मुझसे कहा- भैया की बात का बुरा मत मानना, पहली बार था इसीलिए भैया के सामने नंगी हो जाती तो उन्हें बुरा लगता.
मैंने कहा- कोई बात नहीं भाभीजी, आपके छेद के दीदार तो हमने वैसे भी कर लिए.
वो शर्मा गईं और मादकता से कहने लगीं- चूतिये मुझे पता था, तू बहुत तेज़ है साले गांडू.
मैंने कह दिया- आपका गांडू देवर गांड भी उतनी तेज़ मारता है.
ये कह कर उनकी गांड को सहला दिया.
भाभी मुझसे कहने लगीं- मुंदे लंड, मेरी प्यास बुझाएगा भोसड़ी के!
मैंने कहा- साली रंडी, सब कुछ करूँगा लेकिन पहले अपना माल दिखा, भैनचोदी.. अपने ये सब कपड़े निकाल.
भाभी पूरी नंगी हो गईं और कहने लगीं- घर पर कंडोम नहीं है, आज सिर्फ गांड की चुदाई कर ले, चूत नहीं दूंगी.
मैंने कहा- चूत चाहिए भी नहीं, तेरी कुंवारी गांड मस्त है.
मैंने अपना क्रीम वाला स्प्रे भाभी के छेद पे और अपने लंड पे लगा दिया.
तभी भाभी बोलीं- मुझे वाइल्ड सेक्स और गालियों के साथ मज़ा आता है, पर तुम्हारे भैया सीधा करके सो जाते हैं.
मैंने कहा- तो साली इतने दिनों से क्यों न बोली, न जाने तेरे नाम की कितनी बार मुठ मारी.. चल जल्दी से घोड़ी बन जा.
भाभी ने ठीक वैसा ही किया. मैंने पहले तो लंड को बाहर से भाभी की चूत पे सहलाया और उन्हें गरम करने लगा.
तभी वो कहने लगीं- अब लंड डाल न.
मैंने कहा- पगली, पहले चूस तो इसको.
भाभी भी बहुत तेज़ थीं, बोलीं- तू मेरी चुत चाट.. मैं तेरा लंड चूसती हूँ.
मैंने कहा- मैं झांटों वाली चूत नहीं चाटता. गन्दी लगती है.
भाभी बोलीं- तू क्या भोसड़ी के.. तेरा तो बाप भी चाटेगा मेरी चूत है ही इतनी मस्त.. ले सूँघ मादरचोद..
भाभी ने जबरदस्ती मेरे मुँह को अपनी चूत खींच कर रख दिया.
वास्तव में भाभी की चुत बड़ी महक रही थी.
हम दोनों ने बहुत मज़े से 69 का खेल खेला और मजे किए.
फिर मैंने भाभी की गांड में एक उंगली घुमाई, इससे उनकी दर्द भरी आह निकल गई. बहुत ही टाइट गांड थी रंडी की. फिर मैंने दो उंगलियां घुसेड़ीं, फिर तीन और फिर अपना हथियार ठोक दिया.
कसम से आज तक मेरे लंड को ऐसी गरम कुंवारी गांड न मिली थी. उधर भाभी को भी बहुत मज़ा और दर्द हुआ.
मैंने उनसे चोदते हुए कहा- गालियां देती रह साली.. इससे मुझे गर्मी चढ़ेगी.
वो बोलने लगीं- मादरचोद गांड फाड़ दी.. चूतिये लंड धीरे ठोक.. साले मेरी गांड फट गई हरामज़ादे.. कमीन लंड.. तेरा लंड चूसूं भोसड़ी के अह्ह्ह.. अह्ह्ह अह्ह्ह फाड़ दे आज इस गांड को.. आह..
कुछ देर तक भाभी की गांड में मेरा लंड कत्ले आम मचाता रहा.
फिर मैंने कहा- अब निकलने वाला है.. किधर लेगी रंडी..!
भाभी बोलीं- आधा दही अन्दर डाल दे, आधा पिला दे.
मैंने वैसा ही किया, आधा फुव्वारा गांड के अन्दर होते ही लंड खींच कर भाभी के मुँह में ठूंस दिया और वो छिनाल की तरह मेरा पूरा लंड चूस गईं.
कसम से क्या मज़ा आया उस रात!
फिर अगली बार उन्होंने इनाम में मुझे चूत भी दी, हालांकि मुझे चुत चोदने का नहीं मन था, फिर भी चूत ठोकने में अलग नशा आ गया था.
मेरे और भी बहुत से रंगीन किस्से हैं, जो दूसरी कहानियों में जरूर बताऊंगा.
आशा करता हूँ पहली गांड चुदाई की गन्दी कहानी आप सबको पसंद आई होगी. मुझे मेल करें.
गांड की चुदाई का शौकीन मनन
mananzeba@gmail.com

भाभी की बहन और उसकी सहेलियों का चूत चोदन

भाभी की बहन और उसकी सहेलियों का चूत चोदन

(Bhabhi Ki Behan Aur uski Saheli Ka Chut Chodan)


सबसे पहले आप सब पाठकों को सादर प्रणाम!
मेरी इस सच्ची कहानी को पढ़ कर जिन पाठक दोस्तों के पास चूत का इंतजाम है तो वो अपना लंड चूत में डालेंगे और जिन पाठक दोस्तों के पास चूत का इंतजाम नहीं है वो मुट्ठ मारकर अपना बीज निकालेंगे। उसी तरह जिन पाठिका दोस्तों के पास लंड का इंतजाम है तो वो अपनी अपनी चूत में लंड डलवायेंगी और यदि लंड का इंतजाम नहीं है तो उन्हें अपनी उँगली से ही काम चलाना पड़ेगा।
तो दोस्तो, वैसे तो मैं आपका जाना पहचाना ही हूँ लेकिन जो नए पाठक और पाठिका दोस्त हैं वो शायद मुझे नहीं जानते होंगे तो उनके लिये मेरा परिचय देना आवश्यक हो जाता है।
मैं आगरा से एक 25 वर्षीय वीशु कपूर नाम का सजीला नौजवान हूँ लेकिन एक साल से अपनी मौसी के साथ अहमदाबाद में रह रहा हूँ और वहीं रह कर एक लेडीज मसाज पार्लर में एक मसाज बॉय की हैसीयत से काम कर रहा हूँ जिसमें मुझे हर लड़की या औरत की फुल बॉडी मसाज और उनकी जरूरत के हिसाब से चुदाई भी करनी पड़ती है। कभी कभी मैडम मुझे ग्राहक के घर भेज कर मसाज और चुदाई भी करवाती थी। मेरा जिम जाने के कारण मेरा बदन गठीला है और मेरे लंड की लंबाई और मोटाई घोड़े के लंड जैसी है।
मैं आपको बोर न करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ। तो दोस्तो जब मैंने रेहाना और मिंकी की सील तोड़ी थी तभी मैंने जान बूझ कर अपने घर की दोनों खिड़कियाँ खुली छोड़ दी थी ताकि मेरे घर के सामने वाली कोठी वाली भाभी और उनकी कुँवारी बहन रेहाना और मिंकी की चुदाई स्पष्ट रूप से देख सकें।
दोस्तो, आपको शायद याद होगा कि मेरी मौसी के घर के सामने एक 10 फुट का रोड है और रोड के दूसरी तरफ उन भाभी का घर जहाँ से मेरा कमरा बिल्कुल उनकी किचन के सामने पड़ता है और अगर मेरे घर की सामने वाली खिड़की अगर खुली हो मेरा पूरा कमरा दिखाई देता है।
दोस्तो, मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया था कि इन सामने वाली भाभी ने मुझे चाय देते समय गिर जाने के कारण मेरा लंड कुछ समय के लिये बुरी तरह से झुलस गया था जिस वजह से मैं अपने पार्लर के ग्राहक तक को नहीं चोद पाया था।
उन्ही भाभी की एक छोटी बहन थी जो एकदम दूध सी गोरी और बहुत सुन्दर थी जिसे मैं काफी समय से चोदना चाहता था, वो अपनी बहन के यहाँ ग्रेजुएशन में पढ़ने के लिये आई हुई थी। उसे मैं काफी समय से अपना खड़ा लंड दिखाना चाहता था लेकिन सही मौका नहीं मिल रहा था.
तभी 21 फरवरी को सुबह सुबह रेहाना और मिंकी मुझसे चुदने के लिये आई तभी मेरे दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न सामने वाली खिड़की खोल दी जाये जिससे पूरे नज़ारे का दर्शन वो आराम से कर सकें क्योंकि भैया सुबह 7 बजे स्कूल जाता था और भैया अपने बेटे को स्कूल छोड़ने के बाद अपनी दुकान पर चले जाते थे. इसलिये उस घर में कोई जेंट्स के न होने के कारण ही मैंने अपनी वो खिड़की खो लकर ही मैंने उन दोनों की चुदाई की थी, उसी दौरान भाभी की बहन दिशा (बदला हुआ नाम) रसोई में चाय बनाने के लिये आई और उसने हमें देख लिया।
उस दिन शाम के समय घर जल्दी ही आ गया और घर आकर कपड़े चेंज कर रहा था, मैं अंडरवीयर नहीं पहनता हूँ तो मैंने शर्ट और पैन्ट उतार दी क्योंकि घर पर कोई था नहीं था; मौसी और मौसाजी एक शादी समारोह में राजकोट गए थे.
तभी सामने वाली भाभी के फोन से दिशा का फोन आ गया तो नंगा ही चल के मैंने फोन उठाया.
दिशा बोल रही थी- इधर मेरे घर की रसोई की तरफ देखो, मैं अभी रसोई में हूँ और चाय बनाने आई हूँ लेकिन तुम नंगे होकर क्या कर रहे हो?
तब मैंने तौलिये से अपना लंड छुपाया और उससे कहा- मैं अपने कपड़े चेंज कर रहा हूँ। तुम अपना काम बताओ?
तो दिशा ने जवाब दिया- आपको दीदी पूछ रही है कि आप खाना कितनी देर में खाओगे?
मैंने कहा- अभी मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं.
तो दिशा ने कहा- तो आ जाओ… दीदी बुला रही हैं खाने के लिये!
मैंने कहा- बस कपड़े बदल कर अभी आ रहा हूँ!
और मैं कपड़े बदल कर खाना खाने के लिये सामने वाली भाभी के यहाँ पहुँच गया.
उस समय घर में केवल भाभी, उनका बेटा और दिशा ही थे। थोड़ी देर सोफे पर बैठा ही था मैं कि दिशा खाना परोस कर ले आई और सोफे के सामने स्टूल पर थाली रखते हुए मेरे पास सोफे पर ही बैठ गई और मुझे खाना खाने के लिये कहा.
मैंने भी खाना खाना शुरू कर दिया।
दिशा का ध्यान मेरी थाली पर ना होकर मेरे पजामे के उस हिस्से पर था जहाँ लंड होता है और वो मेरे लंड वाली जगह पर बड़ी गौर से देख रही थी.
तभी मेरी थाली में रोटी खत्म हो गई तो मैं भी दिशा की तरफ देखने लगा लेकिन दिशा का ध्यान मेरे लंड पर था और मेरा दिशा पर।
फिर कुछ देर बाद भाभी ने ही रसोई से दिशा को आवाज दी, तब वो दौड़ी दौड़ी गई और रोटी लेकर भाभी के साथ वापस आई, उसने मेरी थाली में रोटी रखी और भाभी के साथ मेरे सोफे पर बैठ गई।
जब मैं खाना खा चुका था तो दिशा मेरे झूठे बर्तन उठाकर ले गई और वापस आकर मेरे बगल में बैठ गई.
तभी भाभी मुझसे बोली- वीशु जी, कल मैं और ये राजकोट शादी में जायेंगे तो दिशा घर में अकेली रह जायेगी, इसलिये कल आप सुबह और शाम को समय से खाना खा जाना! ओ के?
मैंने हाँ में अपना सिर हिला दिया.
तभी दिशा ने कहा कि मैं प्रीति और दीक्षा को बुला लूँगी जिससे मैं अकेली भी नहीं रहूँगी और मेरी उन लोगों के साथ पढ़ाई भी हो जायेगी.
तो भाभी ने ओ के कहा।
कुछ देर बाद दिशा ने प्रीति और दीक्षा के घर फ़ोन कर दिया, तभी मैं अपनी बाइक लेकर अपने पार्लर चला गया और जब शाम को लौट कर घर आया और हाथ मुँह धोकर फ्रेश हुआ और मैं अपने कपड़े चेंज ही कर रहा था, तभी मेरे फोन पर घंटी बजी तो मैंने पजामा पहने बिना फोन उठा लिया.
भाभी ने मुझे खाना खाने के लिये फोन पर कहा तो मैं पजामा और टी-शर्ट पहन कर मैं भाभी के यहाँ खाना खाने के लिये चला गया.
जैसे ही मैं भाभी के यहाँ पहुँचा, वहाँ मुझे दो गजब की खूबसूरत लड़कियाँ मिली जिन्हें देख कर मेरे मन में उनकी चूत चुदाई की इच्छा जागने लगी लेकिन मैंने अपने मन पर कंट्रोल किया, मतलब मैंने उन लोगों को यह महसूस नहीं होने दिया कि मैं उन सबको चोदना चाहता हूँ।
खैर तब तक दिशा आ गई और उसने उन दोनों का परिचय मुझे दीक्षा और प्रीति के रूप में करवाया। उसके बाद हम सबने साथ साथ खाना खाया और इधर उधर की बातें की, फिर मैं अपने घर आ गया और उन दोनों को चोदने की तरकीब सोचने लगा.
उसी दौरान मेरा लंड पजामे में खड़ा हो चुका था इसलिये मैंने उन दोनों के नाम की दो बार मुट्ठ मारी और टी वी देखते हुए सो गया।
अगले दिन सुबह करीब 8 बजे भाभी, भैया और उनका 6 साल का बेटा ट्रेन से राजकोट के लिये निकल गए। तभी थोड़ी देर बाद ही मेरे फ़ोन की घंटी बजी तो एकदम से मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की दिशा की कॉल है, मैंने उससे बिस्तर से ही बात की।
दिशा बोली- आपका नाश्ता तैयार है, आकर कर लो।
मैंने ओ के कहा और फ्रेश होने टॉयलेट में घुस गया, फिर पेस्ट किया उसके बाद मैं दिशा के यहाँ पहुँच गया.
वहां मुझे केवल दिशा, दीक्षा और प्रीति मिली तो मैंने दिशा से अनायास भी पूछ लिया- भैया और भाभी नहीं दिख रहे, शायद वो राजकोट चले गए क्या?
तो दिशा ने धीमे से कहा- हाँ, तभी तो आज पूरे दिन हम तीनों तुमसे मजे लेंगी।
उसके बाद दिशा मुझे अपने कमरे में ले गई और बोली- वीशु जी, मैं आपका लंड देखना चाहती हूँ.
और उसने पजामे के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और उन दोनों को आवाज दी तो वो दोनों आ गई।
फिर प्रीति ने मेरे दोनों हाथ मजबूती के साथ पकड़ लिये और दीक्षा ने मेरे दोनों पैर पकड़ लिये और हवा में उठा दिया तभी दिशा ने मेरा पजामा खींच दिया. मैं पजामा, पैंट या जीन्स के नीचे कुछ भी नहीं पहनता हूँ, इस वजह से मैं नीचे से एकदम नंगा हो गया.
उसके बाद उन दोनों ने मुझे जमीन पर छोड़ दिया तभी दिशा ने दीक्षा और प्रीति से पूछा- लंड कौन कौन चूसना जानती है?
तब तक प्रीति ने मेरा लंड अपनी हथेली में भरा और सहलाने लगी फिर सुपारे की खाल को हटा कर मेरे लंड को उसने अपने मुँह के पास ले जाकर एक जोरदार चुम्मा मेरे लंड पर जड़ दिया और उसे अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
तब तक दिशा और दीक्षा दोनों एकदम नंगी हो चुकी थी, दीक्षा मेरे पोते चूसने लगी तो दिशा बोली- तुम दोनों भी तो मेरे चूसने के लिये कुछ तो छोड़ो!
मैंने प्रीति और दीक्षा से कहा- तुम दोनों पीठ के बल सीधी लेट जाओ और मैं चूतड़ों के बल जमीन पर बैठ जाता हूँ जिससे प्रीति मेरा लंड चूस सकेगी और दीक्षा मेरे पोते चूस सकेंगी. और दिशा तुम दोनों की चूत चाट सकेगी, ऐसे तुम तीनों को कुछ न कुछ चाटने को मिलेगा. बताओ कैसी कही?
मैंने उन तीनों से पूछा तो तीनों ही खुश हो गई और जो पोजीशन मैंने बताई थी वैसी ही हो गई।
दिशा प्रीति और दीक्षा की बारी बारी से चूत चाटने लगी जिससे वो दोनों सिसियाने लगी और मस्त होकर मेरे लंड और पोते चूसने लगी. कुछ देर बाद दीक्षा और प्रीति ने अपनी अपनी पोजीशन बदल ली, मतलब प्रीति मेरे लंड को छोड़ कर पोतों पर आ गई और दीक्षा मेरा लंड चूसने लगी. दिशा को प्रीति और दीक्षा की चूत चाटने का काम मिला जिसे वो बखूबी निभा रही थी, जिससे प्रीति की चूत ने दिशा के मुख में अपना कामरस छोड़ दिया. और कुछ देर बाद ही दीक्षा की चूत ने भी काम रस छोड़ दिया।
उसके बाद मेरे लंड और पोते चूसने की कमान दिशा ने संभाल ली और उसके दूध प्रीति दबाने और चूसने लगी, दीक्षा ने दिशा की चूत पकड़ ली, उसमें एक उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगी और चूत के दाने पर अपनी जीभ चलाने लगी जिससे दिशा भी सिसियाने लगी.
इधर जैसे ही दिशा की चूत के दाने पर दीक्षा की जीभ लगी, दिशा ने मेरे लंड के सुपारे की खाल को हटा दिया और मेरे लंड पर अपनी जीभ से चाटने लगी तो मैं भी जन्नत की सैर करने लगा और 10 मिनट बाद मेरे सब्र का बाँध टूट गया. मतलब मेरे लंड ने भी अपनी पिचकारी दिशा के मुँह में छोड़ दी जिससे दिशा का मुँह मेरे बीज से भर गया, जिसे दिशा पूरा निगल गई और चूस चूस के एक एक बून्द निचोड़ ली और तब तक चूसती रही जब तक मेरा लंड दुबारा नहीं तन गया.
मेरा लंड लोहे की गरम रॉड की तरह हो गया और उसका सुपारा एक बड़े मशरूम की तरह फूल गया और टमाटर की तरह लाल हो गया।
तभी प्रीति बोली- वीशु जी, अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा है, अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दो!
चूँकि तीनों की चूत अनछुई थी, मतलब तीनों की चूत सील बंद थी, इसलिये मैंने किसी भी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई और सब्र से काम लेना उचित समझा.
मैंने दीक्षा को प्रीति के होंठ चूसने को कहा और दिशा को प्रीति के दूध चूसने और दबाने को कहा तो दोनों ही आज्ञाकारी बच्चे की तरह अपने अपने काम में लग गई. तभी मैं प्रीति की चूत के सामने आ गया और अपना लंड प्रीति की चूत पर घिसने लगा तो प्रीति सिसकारी भरने लगी.
तभी मैंने अपना लंड प्रीति की चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का पूरी ताकत से लगा दिया जिससे मेरे लंड का सुपारा प्रीति की चूत में करीब 4 इंच तक घुस गया. इधर दर्द की वजह से प्रीति के होंठ दीक्षा के होंठ में फँसे होने के कारण गूँ गूँ की आवाज़ निकाल रही थी लेकिन मैंने उस पर किसी भी तरह का कोई भी रहम नहीं किया और उसी जगह रूक कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.
इधर मेरे धीरे धीरे धक्के लगाने के कारण और दिशा द्वारा प्रीति के दूध चूसने और दबाने के कारण प्रीति का दर्द धीरे धीरे मजा में बदलने लगा जिसकी वजह से वो नीचे से अपनी कमर हिला कर अपनी चूत में मेरा लंड लेने लगी.
तभी मैंने अपना लंड उसकी चुत से पूरा बाहर खींच लिया और दुगनी ताकत से दूसरा जोरदार धक्का लगा दिया जिससे मेरा लंड प्रीति की चूत में करीब 7 इंच तक घुस गया लेकिन इस बार प्रीति को इतना तेज दर्द हुआ कि उसकी एकदम से आँखें ही बाहर को आ गई थी।
थोड़ी देर के लिये मैं रुक गया और 7 इंच तक ही अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे धकेलता रहा. कुछ देर बाद ही प्रीति को मजा आने लगा तो मैंने फिर से उस पर बिना रहम किये दो ताबड़तोड़ धक्के लगा दिये जब तक कि मेरा पूरा लंड प्रीति की चूत में जड़ तक नहीं घुस गया।
उसके बाद मैं दो मिनट के लिये रुक गया और उसके दूध को एक हाथ से दबाने लगा और दूसरे दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा जिससे प्रीति को कुछ कुछ मजा आने लगा और वो नीचे से अपनी कमर हिला हिला कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी और तेज तेज धक्के लगा कर मुझे उकसाने लगी.
मैंने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, उसे शताब्दी की स्पीड से पेलने लगा और उसे अलग अलग मुद्राओं में काफी तक चोदा.
अंत में जब मैं झड़ने को हुआ तभी मैंने प्रीति से पूछा- प्रीति, अब मैं झड़ने वाला हूँ, इसलिये बताओ कि मैं अपना बीज कहाँ निकालूं?
प्रीति ने कहा- वीशु जी, अभी कोई खतरा नहीं है इसलिये आप अपने लंड की पिचकारी मेरी चूत में ही छोड़ दो।
उसके बाद मैंने करीब 3 मिनट तक धक्के और मारे होंगे कि मेरे लंड ने प्रीति की चूत में अपनी पिचकारी छोड़ दी और मैं उसके ऊपर धम्म से गिर पड़ा.
हम दोनों की साँसें ऐसे चल रही थी जैसे कोई इंजन चल रहा हो. तभी प्रीति ने मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी और मुझसे कसकर लिपट गई.
जब उसने मुझे ढीला छोड़ा तो मैंने उसकी चूत से अपना लंड निकाला तो उस पर प्रीति की चूत का खून और रज और मेरा बीज का मिश्रण लगा हुआ था और प्रीति की चूत का छेद काफी हद तक खुल गया था और उसके चूतड़ों के नीचे खून का एक गोल घेरा बन गया था जिसे वो गौर से देख रही थी और फिर मुझसे बोली- वीशु जी, आपके लंड ने मेरी चूत फाड़ दी.
तभी दीक्षा बोली- पागल, लंड तो चूत को फाड़ कर ही अंदर घुसता है।
फिर प्रीति को पेशाब लगी लेकिन उससे बिस्तर से उठा नहीं गया तो मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर उंगली डाल कर उसकी पानी से चूत साफ की और अपना भी लंड धोया।
करीब आधा आधा घंटे के रेस्ट के साथ मैंने दीक्षा और दिशा की चुदाई भी बिल्कुल उसी तरह से की.
तो दोस्तो आपको मेरी कहानी कैसी लगी? आप अपने विचार अवश्य दें!
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